स्वच्छ दूध उत्पादन

  वर्तमान समय के बदलते हुए परिवेश में दूध के उत्पादन में गुणवत्ता का विशेष महत्व हो गया है। भारत वर्ष विश्व में दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है।
   परंतु दूध की गुणवत्ता में हम अभी भी काफी पिछड़े हुए हैं। अतः अब यह आवश्यक है कि दुध उत्पादन के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जावे।

              दुग्ध उत्पादक स्तर पर दुधारू पशुओं के न से निकले हुए दूध में औसतन एक हजार से दस हजार जीवाणु प्रति मि.ली. दूध में पाये जाते हैं जो कि दुग्ध समिति में आते-आते
   पचास हजार से पांच लाख जीवाणु प्रति मिली हो जाते हैं। यही जीवाणु दुग्ध सहकारी समिति स्तर से संघ के शीतलीकरण केन्द्र अथवा दुग्ध संयंत्र तक आते-आते लगभग
   एक करोड़ जीवाणु प्रति मि.ली. की संख्या तक पहुंच जाते हैं। अतः यह स्पष्ट है कि दूध के प्रति जागरूकता न होने के
   फलस्वरूप दूध की गुणवत्ता अत्यंत निम्न कोटि की हो जाती है।

  स्वच्छ दूध:    ‘‘वह दूध जो स्वस्थ्य दुधारू पशु (गाय/भैंस) के स्तन का स्त्राय होता है जिसमें अच्छी प्राकृतिक सुगंध होती है व बाहरी गन्दगी से
   मुक्त व अत्यन्त अल्प मात्रा में जीवाणु जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते हैं, से मुक्त होता है। ऐसे दूध को स्वच्छ दूध कहा जाता है।‘‘

    स्वच्छ दूध उत्पादन पशु स्तर से परिवहन स्तर तक किये जाने हेतु प्रत्येक स्तर पर निम्नानुसार प्रक्रिया/सावधानियॉ अपनायी जाना चाहिए:

1.   दुधारू पशुओं का रखरखाव एवं वातावरण:

  • •  दुधारू पशु का स्वास्थ्य दुधारू पशु जिस स्थान पर रखे जाते हैं यह स्थान स्वच्छ खुला द हवादार हो एवं उस स्थान पर मलमूत्र निकास की उत्तम व्यवस्था होनी चाहिये।
  • •  दुधारू पशु को हमेशा स्वच्छ रखने के लिए उसे नियमित नहलाया जाये। पशु की शारीरिक स्वच्छता हेतु नियमित रूप से ब्रश या साफ कपड़े से शरीर की सफाई करना चाहिये।
  • •  दुधारू पशु के रखे जाने वाले स्थान के फर्श की नियमित सफाई पानी से धोकर या झाडू लगाकर की जाना चाहिये।
  • •  दुधारू पशुओं को दिया जाने वाला आहार सन्तुलित आहार हो, आहार का समय एवं किस्म निर्धारित हो तथा आहार में जल्दी-जल्दी परिवर्तन न किया जावे एवं आहार
       की गुणवत्ता एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिये।

2.  दूध दोहने वाले व्यक्ति की स्वच्छता एवं दूध दोहने का तरीका:

  • •  दूध दोहने वाले व्यक्ति किसी संक्रामक बीमारी से ग्रसित नहीं होना चाहिए, उसके हाथ और नाखून पर खुला घाव या कट नहीं होना चाहिए। नाखून कटे होना चाहिए,
       सिर पर कपड़ा हो ताकि बाल गिरने से गंदगी को रोका जा सके। दूध दोहने से पूर्व हाथ अच्छी तरह धोकर सुखा लेना चाहिए।
  • •  दूध दोहने से पहले दुधारू पशु के थन एवं आंचल को अच्छी तरह धोकर साफ कपड़े से पोंछकर सुखा लेना चाहिए।
  • •  दूध दोहते समय दुधारू पशु के चारों थनों की एक दो धार का दूध बाहर निकालना चाहिए। क्योंकि थन से प्रथम धार के दूध में जीवाणुओं की संख्या अत्यधिक रहती है।
       इसलिए इसे बाल्टी /बर्तन में नहीं डालना चाहिये एवं इसे समिति में प्रदाय किये जाने वाले दूध में नहीं मिलाया जाना चाहिये।
  • •  दुधारू पशु के थन एवं आंचल धोने के लिए अलग बाल्टी में साफ पानी रखना चाहिए। यदि अधिक संख्या में दुधारू पशुओं का दोहन किया जाना है तो प्रत्येक पशु
       के लिए अलग-अलग साफ पानी थन एवं आंचल धोने के लिए प्रयोग में लाना चाहिए।
  • •  दूध दोहते समय दूध दोहने वाले व्यक्ति को दूध दोहने वाले बर्तन/दुधारू पशु के थन की ओर मुंह करके खांसना/छींकना नहीं चाहिए।
  • •  दुधारू पशु को दोहने के पश्चात् थनों को उपयुक्त कीटनाशक जैसे आई.डो, फोर/पोटेशियम परमेगनेट (लाल दवा) के हल्के घोल से साफ करना चाहिए।
  • •  जहां तक सम्भव हो दूध प्रदाय करने के बर्तनों को घरेलू उपयोग के बर्तनों से अलग रखना चाहिये।
  • •  दूध दोहने हेतु चौड़े मुंह के स्टेनलेस स्टीन के बर्तन का उपयोग किया जाना चाहिये।
  • •  दुग्ध दोहन से पूर्व दूध दोहने एवं समिति में दूध ले जाने वाले बर्तन साफ पानी जिसमें हल्की लाल दवा मिली हो उससे धोकर एवं सुखाकर उपयोग में लाना चाहिये।
  • •  दूध के बर्तन को साफ एवं स्वच्छ कपड़े से ढंककर रखना चाहिए।

3.  दूध उत्पादन एवं समिति में दूध प्रदाय करते समय रखी जाने वाली सावधानियां:

  • •  दुग्ध दोहन के वर्तन का आकार ऐसा होना चाहिये कि उसमें मुहाने पर चूड़ियां न बनी हो, मुंह चौड़ा हो तथा भीतरी सतह पर गढ्ढे न हो आसानी से एवं पूर्ण रूप
       से सफाई किये जाने योग्य हो।
  • •  दुग्ध दोहन के समय एवं समिति में प्रदाय करने से पूर्व यह सावधानी रखी जानी चाहिये कि इसमें कचरा एवं बाहरी तत्व प्रवेश न कर सके।
  • •  दूध के बर्तन को छायादार सुरक्षित स्थान पर ढंक कर रखें एवं दूध में किसी अन्य बर्तन या वस्तु को न डुबोयें।
  • •  दूध के बर्तन को छायादार सुरक्षित स्थान पर ढंक कर रखें एवं दूध में किसी अन्य बर्तन या वस्तु को न डुबोयें।
  • •  दुग्ध समिति में दूध लाने के लिए साफ स्टेनलेस स्टील के बर्तन को ढंक कर दूध पहुंचाया जाये।
  • •  दुग्ध दोहन के पश्चात् जल्दी से जल्दी दूध को समिति में पहुंचाया जाये। ताकि जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि को रोका जा सके।

  दुग्ध समिति स्तर पर स्वच्छ दूध के रखरखाव में सावधानियां:

  • •  दुग्ध समिति के भवन के आस-पास की सफाई: दुग्ध समिति के भवन के फर्श को दुग्ध संकलन के समय से पूर्व अच्छे से झाडू लगाकर साफ कर लें यदि
       फर्श कच्चा है तो पानी छिड़क लें ताकि धूल न उड़े और यदि फर्श पक्का है तो पानी से धोलें।
  • •  दुग्ध संकलन के पूर्व दूध नापने के समस्त बर्तन, सेम्पलर, परीक्षण उपकरण एवं दूध की केने आदि पहले ठंडे पानी एवं फिर गरम पानी एवं साबुन आदि से अच्छे से साफ
       कर लें और सुखा लें यदि समिति में बल्क कूलर है तो दूध संकलन से पूर्व बल्क कूलर की निर्धारित प्रक्रिया के अन्तर्गत ठंडे पानी एवं फिर गरम पानी से सफाई अवश्य कर लें।
  • •  यदि समिति पर डिजिटल वेइंग मशीन, मिल्को टेस्टर आदि है तो उपयोग से पूर्व उचित साफ सफाई अवश्य कर लें एवं यदि आवश्यक हो तो मशीन को केलीब्रेटेड
       भी कर लें ताकि मशीन सही-सही माप दे।
  • •  जहां तक सम्भव हो दूध को नापने, सेम्पल लेने आदि में हाथ से न छुयें एवं आवश्यक उपकरणों से ही काम चलायें। दूध मापते समय दूध को छानना न भूलें।
       प्रत्येक उत्पादक का दूध छानकर ही प्राप्त करें।
  • •  दूध संकलन कार्य से पूर्व समिति सचिव, टेस्टर आदि स्वयं भी ठीक से साफ सफाई कर लें यदि बाल लम्बे हों तो सिर पर टोपी पहन लें या अंगोछा बांध लें साथ ही
       मुंह पर अंगोछा या कपड़ा बांधे हाथ साबुन से ठीक से साफ करें। नाखून भी नियमित काटें। कपड़ों की साफ सफाई नियमित करें।
  • •  दूध मापने के तुरन्त बाद दूध या तो केन में डालकर ढक्कन तुरंत बंद कर दें यदि बल्क कूलर है तो दूध को तुरन्त कूलर में डाल कर ढक्कन बंद कर दें।
  • •  समिति स्तर पर स्वच्छ दुग्ध उत्पादन कार्यक्रम के अन्तर्गत ैण्ैण् 304 ग्रेड स्टेनलेस स्टील दुग्ध केनों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • •  दूध की केनें भरी अथवा खाली हो उन्हें ढक्कन लगाकर रखना चाहिए।
  • •  दूध छानने के छनने की बार-बार नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए।

  परिवहन स्तर पर:

  • •  समिति में संकलित दूध यदि केनों के माध्यम से परिवहन किया जा रहा है तो केनों की उचित सफाई सुनिश्चित करें।
  • •  जहां तक सम्भव हो केन भरते समय दूध को हाथ न लगायें एवं सील बंद करके ही वाहन में चढ़ायें।
  • •  यदि समिति में बल्क कूलर है तो दूध पम्प करने से पूर्व होज पाइप की सफाई गरम पानी से अवश्य कर लें एवं पम्प द्वारा ही टैंकर में दूध डालें।
  • •  टैंकर में दूध डालने से पूर्व दूध की मात्रा एवं आवश्यक परीक्षण सुनिश्चित कर लें। समिति स्तर पर दुग्ध संकलन वाहन को कम से कम रोकें।

  स्वच्छ दूध उत्पादन के महत्वपूर्ण बिन्दु

  • 1.  दुधारू पशुओं को दुग्ध दोहन हेतु साफ एवं सूखे स्थान पर रखा जाना चाहिये। दुग्ध दोहन से पूर्व दुपारू पशु के आंचल एवं थनों को धोकर साफ कपड़े से पोंछना चाहिए।
  • 2.  दुग्ध दोहन से पूर्व दुधारू पशु के आंचल एवं थनों को धोकर साफ कपड़े से पोछना चाहिए।
  • 3.  दुग्ध दोहन के समय पशु को सूखा चारा नहीं खिलाना चाहिए।
  • 4.  दुग्ध दोहन से पूर्व दोहन कर्ता को हाथों की सफाई अवश्य कर लेना चाहिए।
  • 5.  दूध के लिए स्टेनलेस स्टील का चौड़े मुंह का ढक्कन युक्त बर्तन, जिसकी सफाई ठीक से हो सके, का उपयोग करना चाहिए।
  • 6.  दुग्ध दोहन के पश्चात् थनों की सफाई हेतु टीट डिप का उपयोग करना चाहिए।
  • 7.  दुग्ध दोहन के आधे घंटे के अन्दर समिति में दूध पहुंचाना सुनिश्चित करना चाहिए।
  • 8.  दुग्ध परिवहन मार्गों का उचित निर्धारण कर कम से कम समय में दूध समिति के शीतकेन्द्र पर पहुंचाया जाना चाहिए।
  • 9.  दुग्ध उत्पादन के हर स्तर पर स्वच्छ दुग्ध उत्पादन हेतु जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।
  • 10.  उच्च गुणवत्ता आधारित दुग्ध प्रदाय हेतु प्रेरक प्रोत्साहन का प्रावधान रखना चाहिए।
  • 11.  दुग्ध दोहन के आधा घंटे बाद तक दुधारू पशु को बैठने नहीं देना चाहिए।